Compilation of The Mother’s articles, messages, letters and conversations on education and 3 dramas in French: 'Towards the Future', 'The Great Secret' and 'The Ascent to Truth'.
This volume is a compilation of The Mother’s articles, messages, letters and conversations on education. Three dramas, written for the annual dramatic performance of the Sri Aurobindo International Centre of Education, are also included. The Mother wrote three dramas in French: 'Towards the Future' produced in 1949, 'The Great Secret' in 1954 and 'The Ascent to Truth' in 1957.
१४ मार्च, १९७३
'ख' माताजी के सामने एक अध्यापक का पत्र पढ़ता है जो ''इस
गड़बड़ से हट जाना और इस वर्ष के लिये विद्यालय छोड़ देना' '
चाहता हैं । तब माताजी को बतलाया गया कि किन कारणों से
उसने यह फैसला किया ।
जहांतक मेरा सवाल हैं, मै इन मामलों को बिलकुल नहीं समझती । मेरे लिये ये सब... । 'क' का क्या कहना हैं?
'क' : मैं क्षति जानता के आपसे क्या कह माताजी
मुझे इतना ही बताओ : तुम्हें कैसा लगता है? मुझे लगता है कि विद्यालय मे गड़बड़ की सत्ता घुस गयी हैं और... । उनका मतलब एक ही है, पर वे अलग-अलग परिभाषाओं का उपयोग करते हैं, और परिभाषाओं में टक्कर होती हैं । मुझे मालूम है कि उनमें बहुत ज्यादा एक-सी अभीप्सा है, परंतु हर एक अपनी ही भाषा बोलता है और भाषाओं में सामंजस्य नहीं है और है व्यर्थ का वाद-विवाद करते हैं । लो, मुझे तो लगता है कि सबसे अच्छा उपाय यह होगा कि हर एक कुछ समय के लिये चुपचाप रहे । तुम अपना समाधान बतलाओ ।
मैं भी, उन लोगों के साथ जो... जो मेरे साथ हैं, मुझे कमी कोई कठिनाई नहीं होती थी, और अब तो ऐसा लगता है मानों हम अलग हीं भाषा बोल रहे हैं ।
'क' : और उन चीजों पर जोर देने की जगह जो हमें नजदीक लाती हैं हम मित्रता की बातों पर जोर देते हैं अत:...
हां, वे उसी पर जोर देते हैं । लेकिन मेरे ऊपर इसका अजीब प्रभाव होता है; इससे मुझे ऐसा लगने लगता है मानो मै बीमार हूं । मेरे अंदर कोई बीमारी नहीं हैं । मै स्वस्थ हूं और यह चीज मुझे सारे समय बीमारी का-सा अनुभव कराती रहती है ।
'क' : यह असामंजस्य का स्वदंन है !
हां, वास्तव में यह साधारण मानसिक चेतना से अतिमानसिक चेतना में संक्रमण है । अतिमानसिक चेतना की उपस्थिति में मानसिक चेतना संन्यस्त रहती हैं । मुझे लगता है-मैं तुम्हें बतलाती हूं, मेरे अंदर यह चीज कैसे आती है-कि हर मिनट व्यक्ति मर सकता है, स्पंदन इतने भिन्न होते हैं । तो केवल तभी जब मैं बहुत स्थिर होता हूं... तो सत्ता, चेतना... पुरानी चेतना-जो मानसिक चेतना बिलकुल नहीं है, फिर भी-पुरानी चेतना अपना मंत्र जपती जाती है । एक मंत्र है... वह अपना मंत्र जपती,
जाती है । तो वह एक पृष्ठभूमि की नाई होता है, एक संपर्क-बिंदु का तरह... । अजिर है... । और तब उसके परे, कोई चीज हैं जो ज्योति और शक्ति से भरपूर है , लेकिन वह इतनी नयी है कि वह लगभग संत्रास पैदा कर देती है । अतः, समह्मते, अगर यहीं चीज... मेरे अंदर... मुझे बहुत अनुभव ही, है न ? तो अगर यह चीज मेरे अंदर ऐन प्रतिक्रिया लाती है, अगर ऐसी हीं चीज दूसरों में हो तो मुझे लगता हे कि हम पागल हो जायेंगे! लो, इतना काफी है ।
क्या यह किसी के साथ मेल खाता है?
'क' : जी छू माताजी
तो मेरा ख्याल है कि हमें बहुत शांत रहना चाहिये ताकि...
'क'. (जैविकी क्वे बारे मै कुछ बातें करने के बाद) : पर तथ अपनी बात पर वापिस आते हुए उदाहरण क्वे लिये क्या हमें नजदीक लानेवाली चीजों पर जोर देकर और जैसा कि आपने उस दिन कहा था विभित्र तत्त्वों के संयोजनों को यथासंभव जल्दी चरितार्थ करके... मेरा ख्याल है कि अमर हर एक यह हूढ़ंने का निक्षय कर ले कि काम के विभित्र हर्म्य को कैसे सबा लाया जा सकता है हां तो है विचित्रता क्वे हिंदुओं को मूल जायेने और केवल उन चीजों के बारे में ही ज्यादा सोचने जो ज्यादा नजदीक लाती हैं
हां, हां, लेकिन हमारी भाषा... मैं तुमसे कहनेवाली थी : ''यह अच्छा विचार है, '' पर मैंने मानों अपने-आपसे कहते हुए अपना कान पकड़ा । यह विचार नहीं, समझे, यह नोट हमारी भाषा हैं जो... यह मानों एक टोपा है जो उसे पूरी तरह ढक लेता है, एक मानसिक टोपा जिससे वह पिंड छुलाना नहीं चाहता । सचमुच, यह कठिन समग है । मेरा ख्याल है कि हमें बहुत शांत रहना चाहिये, बहुत शांत, बहुत शांत । मै तुम्हें अपना पुराना मंत्र बताती हूं; यह बाह्य सत्ता को बहुत शांत रखता है :
ॐ मनो भगवाते ।
ये तीन शब्द । मेरे लिये इनका अर्थ था :
ऊ-मैं परम प्रभु से याचना करती हूं ।
मनो-उन्हें नमस्कार हो ।
भगवाते- मुझे दिव्य बनाओ ।
यह उनका अनुवाद है, यानी... । सुना तुमने?
'क' : जी हर्र माताजी
मेरे लिये इसमें सब कुछ शांत करने की शक्ति है ।
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