CWM (Hin) Set of 17 volumes
शिक्षा 401 pages 2000 Edition
Hindi Translation

ABOUT

Compilation of The Mother’s articles, messages, letters and conversations on education and 3 dramas in French: 'Towards the Future', 'The Great Secret' and 'The Ascent to Truth'.

शिक्षा

The Mother symbol
The Mother

This volume is a compilation of The Mother’s articles, messages, letters and conversations on education. Three dramas, written for the annual dramatic performance of the Sri Aurobindo International Centre of Education, are also included. The Mother wrote three dramas in French: 'Towards the Future' produced in 1949, 'The Great Secret' in 1954 and 'The Ascent to Truth' in 1957.

Collected Works of The Mother (CWM) On Education Vol. 12 517 pages 2002 Edition
English Translation
 PDF     On Education
The Mother symbol
The Mother

This volume is a compilation of The Mother’s articles, messages, letters and conversations on education. Three dramas, written for the annual dramatic performance of the Sri Aurobindo International Centre of Education, are also included. The Mother wrote three dramas in French: 'Towards the Future' produced in 1949, 'The Great Secret' in 1954 and 'The Ascent to Truth' in 1957.

Hindi translation of Collected Works of 'The Mother' शिक्षा 401 pages 2000 Edition
Hindi Translation
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१८ फरवरी, १९७३

  

'क' : आज मैं आपके सामने 'ट' का पक पन पहंगा उसने अपनी कलाओं के बारे में पत्र दिया है आप जानती हैं कि ईसा वर्ष उसने छोटे बच्चों के साथ काम शुरु किया है ?

 

 ओह !

 

'क' : वह लिखती है : ''हम हर बच्चे क्वे लिये पूर्ण रूप ले विकसित होना संभव बनाना चाहते हैं और सबसे बढ़कर हम चाहते हैं कि उसकी सीखने की इच्छा सान बनी के '' (पत्र में कुछ प्रस्तावित खेलों का वर्णन है जो चीजें उनके लिये बनायी नयी हैं उनकी तथा. कार्यक्रम की बात है फिर वह कहती है:) ''लेकिन ' बच्चों की सभी ' को खुल-खेलने का अवसर तभी मिलता है जब उन्हें पर्याप्त स्वतंत्र छेत्र प्रान्त हरे एडसलिये कोई कठिनाई सिर उठाती हैं विशेष रूप से शोर-शराबे को तथा उनकी गतिविधि की संयत रखना मुश्किल होता है अमी कुछ दिन पहत्हे उन्होने मेकैनो ले तस्वीरें और पिस्तौलें बनायी थीं? ''

 

ओह !

 

 'क' : (जारी रखता है) : ''हमने उन्हें अभिनय के लिये एक नाटक दिया है इस आशा ये दिया है कि दे कुछ समय के बाद ठंडे पड जायेने? लेकिन हिंसा की इच्छा लड़ाई- या जासूसी कहानियों तक- की पसंद के लिये क्या किया जाये?"

 

 तुम्हारे पास लिखने के लिये कुछ है?

 

       'क' : जी हां !

 

जबतक मनुष्य अपने अहंकार और उसकी कामनाओं के वश में हैं तबतक हिंसा जरूरी है... । ठीक है?

 

     'क' : जी हां माताजी !

 

   लेकिन हिंसा का उपयोग केवल आत्म-रक्षा में, जब किसी पर आक्रमण हों तब किया

 


जाना चाहिये । जिस लक्ष्य की ओर मानवजाति गति कर रहीं हैं और जिसे हम चरितार्थ करना चाहते हैं, वह हैं एक ऐसी प्रकाशमान समझ की अवस्था जिसमें हर एक की और साथ हीं समग्र सामंजस्य की आवश्यकताओं का ख्याल रखा जाता हैं ।

 

   'क' : जी हां माताजी

 

भविष्य को हिंसा की जरूरत न होगी, क्योंकि उसमें दिव्य 'चेतना' का राज होगा जिसमें हर चीज दूसरी के साथ सामंजस्य में रहती और एक दूसरे को पूरा करती हैं । यह काफी है?

 

    'क' : जी ! अमी आपने जो कहा है, उसे मैं पड़े देता हूं माताजी ! (पड़ता है )

 

यह ठीक है?

 

          'क' : जी हां माताजी बिलकुल ठीक?

 

   तो एक सामान्य रीति से पूछती है कि जब इस तरह की चीजें सि? उठाये जब बच्चे इस प्रकार की बातों मैं व्यस्त हों तो : 'हमें बीच मैं पड़ता चाहिये या तबतक प्रतीक्षा करनी चाहिये जबतक कि इस प्रकार की गति दबाकर कुत्त न हो जाये ?

 

तुम्हें... तुम्हें बच्चों से प्रश्र करने चाहिये और उनसे अचानक पूछना चाहिये : '' क्या तुम्हारे दुश्मन हैं? कौन हैं ये दुश्मन?'' तुम्हें यह कहना चाहिये... । तुम्हें उनसे थोड़ा बोलवाना चाहिये... । चूंकि वे देखते हैं... सेना मे एक बल और एक सुन्दरता है जिसे बच्चे बहुत जोर से अनुभव करते हैं । लेकिन उसे बनाये रखना चाहिये । सिर्फ, सेनाओं का उपयोग आक्रमण करने और जीत लेन के लिये नहीं करना चाहिये, बचाव करने और...

 

    'क': रक्षा

 

... और रक्षा । ठीक है ।

 

   पहले उसे यह अच्छी तरह समझ लेना चाहिये : अभी के लिये, हम ऐसी अवस्था मे हैं जब हथियारों की जरूरत हैं । हमें यह समझ लेना चाहिये कि यह एक संक्रमण अवस्था है-यह अंतिम नहीं है, लेकिन हमें उस ओर बढ़ना चाहिये ।

 

   शांति-- शांति, सामंजस्य- को चेतना के परिवर्तन के स्वाभाविक परिणाम के रूप में होना चाहिये ।

 

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'क' : और उसका दूसरा प्रश्र हैं माताजी- मैं आपको याद दिल दूं कि उसके पास आठ ले दस वर्ष के बच्चे हैं- वह कहती है : ''इस अवस्था मे जब इस बच्चों में मानसिक दृष्टि काम करने लगती है हम आंतरिक सहजता की हानि पहुंचाये बिना इस मानसिक गति का उपयोम कैसे कर सकते हैं?

 

बहुत कुछ स्थिति और बच्चे पर निर्भर है !

 

   देखो, भारत में अहिंसा का विचार है जिसने भौतिक हिंसा के स्थान पर नैतिक हिंसा को बीठा दिया हैं-लेकिन यह कहीं अधिक खराब हैं !

 

  तुम्हें उनकों यह समझाना चाहिये... । तुम बच्चों से कह सकते हो, समझा सकते हो कि भौतिक हिंसा के स्थान पर नैतिक हिंसा को रखना अधिक अच्छा नहीं है !

 

  रेल को रोकने के लिये उसके आगे लेट जाना नैतिक हिंसा है जो भौतिक हिंसा की अपेक्षा ज्यादा गड़बड़ पैदा कर सकती है । तुम... तुम सुन सकते हो?

 

   लेकिन यह बालक पर निर्भर है, स्थिति पर निर्भर हैं । तुम्हें कोई नाम न लेना चाहिये, यह न कहो कि इस या उस व्यक्ति ने ऐसा कहा हैं ! उन्हें विचार और प्रतिक्रियाएं समझाती चाहिये ।

 

   तुम्हें... यह एक अच्छा उदाहरण है : तुम्हें यह समह्मने चाहिये कि रेल को रोकने के लिये उसके आगे लेट जाना उतनी हीं बड़ी हिंसा हैं... बल्कि हथियार लेकर उसपर आक्रमण करने से भी बढ़कर हिंसा है  । समझे, बहुत-सी, बहुतेरी चीजें कही जा सकतीं हैं । यह हर स्थिति पर निर्भर हैं ।

 

   स्वयं मैंने पटेबाजी को बहुत प्रोत्साहित किया था क्योंकि उससे आदमी एक कौशल, अपनी गतियों का संयम और उग्रता का नियंत्रण सीखता है । एक समय मैंने पटेबाजी को बहुत प्रोत्साहन दिया था, और तब, मैंने पिस्तौल चलाना भी सीखा था । मै पिस्तौल से गोली चलाती थी, मै रामफल भी चलाती थी क्योंकि इससे स्थिरता और कौशल और शिक्षित दिष्टि प्राप्त होती है जो बहुत बढ़िया हैं, और इससे तुम खतरे के समय भी स्थिर रहने के लिये बाधित होते हो । मुझे नहीं मालूम कि ये चीजें क्यों... । तुम्हें हमेशा निराशाजनक रीति से अहिंसक न होना चाहिये- इससे चरित्र... शिथिल बन जाते हैं ।

 

   अगर वह बच्चों को... क्या करते देखती हैं ? वे तलवारें बना रहे थे?

 

    'क' : जी हां माताजी दे मेकैनो ले तलवारें बना रहे थे

 

 उसे ऐसे अवसरों पर कहना चाहिये : '' ओह, तुम्हें पटेबाजी सिखनी चाहिये ! '' और साथ हीं पिस्तौल भी !

 

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    'क' : जी हां माताजी

 

 और उनसे कहो... उन्हें निशानाबाजी सिखाओ... इसे एक कला का रूप दे दो, एक कला और शांत-स्थिर पूर्णता, और आत्म-संयत कौशल के प्रशिक्षण का रूप दे दो । तुम्हें कभी... कभी गोहार नहीं मचानी चाहिये... । उससे काम न चलेगा, बिलकुल नहीं, बिलकुल नहीं । मैं उसके पक्ष मे बिलकुल नहीं हूं । आत्मरक्षा के उपाय अच्छी तरह सीखने चाहिये और इसके लिये उनका अभ्यास भी करना चाहिये ।

 

 यहां 'क' ने उत्तर फांस के फ्लेण्डर्ज इलाक़े मैं होनेवाली तीरंदाजी

की बात की, लेकिन वह ठीक तरह न समझा पाया, इसलिये

माताजी ने समझा कि वह धनुहियों की बात कर रहा है ।

 

तो वे चिड़िया मारना शुरू करेंगे...

 

      'क' : लेकिन हमारे यहां तीरंदाजी के लिये सुविधाएं नहीं हैं माताजी यही कठिनाई है!

 

बे चीजों की तोड-फोड़ शुरू कर देंगे । मैं बहुत... हां, अगर... । लेकिन जब वे पूरी तरह समझ लें कि यह केवल आत्मरक्षा के लिये है, और किसी चीज के लिये नहीं नहीं, तब दुर्घटनाएं होगी । भूखे नहीं लगता कि यह बहुत बुद्धिमानी होगी । अगर उन्हें रस हो तो तुम उन्हें पटेबाजी और निशानेबाजी सीखा सकते हो, यानी, यों, जैसा कि मै 'ट' को लिख रहीं हूं... । अगर वह किसी बच्चे को यह करते देखे तो उसे यह न करना चाहिये... (माताजी त्रास से दोनों भुजाएं उठाने का अभिनय करती हैं) । उसे उससे कहना चाहिये, उसे समझाना आना चाहिये : ''इससे तुम्हें अपनी मांसपेशियों पर ज्यादा अधिक अधिकार प्राप्त होता हैं, इससे तुम्हें मजबूत और शांत और आत्म-संयत रहना पड़ता है । '' इसके विपरीत, यह उन्हें एक बहुत अच्छा पाठ पढ़ाने का अवसर होता हैं । लेकिन तुम्हें अपने-आप समह्म सकना चाहिये, और सबसे बढ़कर, सबसे बढ़कर, उन्हें समझा सकना चाहिये... उन्हें यह समझा सकना चाहिये कि नैतिक हिंसा ठीक उतनी हीं बुरी हैं जितनी भौतिक हिंसा । यह उससे भी ज्यादा खराब हो सकतीं है; यानी, भौतिक हिंसा कम-से-कम तुम्हें मजबूत, आत्म-संयत होने के लिये बाधित करती है, जब कि नैतिक हिंसा... । तुम ऐसे हो सकते हो (माताजी ऊपरी स्थिर-शांति का दिखावा करती हैं) और फिर भी तुम्हारे अंदर भयंकर नैतिक हिंसा हो सकतीं हैं ।
 

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