Compilation of The Mother’s articles, messages, letters and conversations on education and 3 dramas in French: 'Towards the Future', 'The Great Secret' and 'The Ascent to Truth'.
This volume is a compilation of The Mother’s articles, messages, letters and conversations on education. Three dramas, written for the annual dramatic performance of the Sri Aurobindo International Centre of Education, are also included. The Mother wrote three dramas in French: 'Towards the Future' produced in 1949, 'The Great Secret' in 1954 and 'The Ascent to Truth' in 1957.
छुट्टियां
छुट्टियों के बारे मैं आश्रम मे दो अफवहैं फैली हुई हैं
पहली यह कि इस वर्ष तो आप हमें बाहर जाने की स्वीकृति दे रही हैं पर अमले वर्ष स्वीकृति न मिलेगी, दूसरी यह कि आप नहीं चाहती कि हम बाहर
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मै जानना चाहूंगा कि कौन-सी अफवहैं ठीक हैं क्योंकि बहुत-से विद्यार्थियों को आपसे जाने की स्वीकृति मिल चुकी हे
दोनों में से कोई भी सत्य नहीं है ।
दोनों मे सें कोई भी मिथ्या नहीं हैं ।
ये दोनों और इनके अतिरिक्त और भी बहुत-सी मेरी समन्वयात्मक और सामंजस्यपूर्ण इच्छा-शक्ति की विकृत अभिव्यक्तियां हैं ।
व्यक्तिगत रूप से हर एक को मेरा उत्तर, यदि वह सच्चा, निष्कपट हो, उसकी आवश्यकता की अभिव्यक्ति होता हैं ।
(१७-१०-१९६४)
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माताजी बाहर जानें से हम अपना आध्यात्मिक लाभ क्यों और कैसे खो बैठते हैं? हम सचेतन रूप ले प्रयास कर सकते हैं अरे फिर आपका संरक्षण तो है न !
अपने मां-बाप के पास जाना उस प्रभाव के पास लौटना है जो सबसे अधिक मजबूत होता हैं : और ऐसे उदाहरण बहुत क्रम हैं जहां मां-बाप तुम्हारी आध्यात्मिक प्रगति में सहायक होते हों, क्योंकि वे साधारणत: सांसारिक उपलब्धि मे ज्यादा रस लेते हैं ।
जो मां-बाप मुख्य रूप से आध्यात्मिक उपलब्धि मे रस लेते हैं वे साधारणत: अपने बच्चों को मिलने के लिये नहीं बुलाते ।
आशीर्वाद ।
(८-११-१९६९)
जो विद्यार्थी १६ दिसंबर को विद्यालय के सत्रारंभ पर उपस्थित न होंगे उन्हें सारे वर्ष विद्यालय में प्रवेश न मिलेगा ।
(नवंबर १९६९)
''हॉलीडेज'' या छुट्टियां?
हम ''होली'' डेज' कह सकते हैं? इनके दो प्रकार होते हैं : एक मान्यता के अनुसार
१अंग्रेजी मे छुट्टी को ''हॉलीडे' ' कहते हैं और ''होली डे' ' हुआ पवित्र दिन ।
भगवान् ने छ: दिन (या युग) तक काम करके यह सृष्टि बनायी और सातवें दिन विश्राम, एकाग्रता और ध्यान-चिंतन के लिये काम बंद रखा । इसे भगवान् का दिन कहा जा सकता हैं ।
दूसरे : मनुष्य, भगवान् के बनाये हुए जीव, छ: दिन तक अहंकारमय उद्देश्यों के लिये,''ज्यक्तिगत हितों के लिये काम करते हैं, और सातवें दिन आराम करने और अपने अंदर और अपर देखने के लिये समय निकालने के लिये, अपनी सत्ता और चेतना के स्रोत का ध्यान करने और उसमें गोता लगाकर नयी शक्ति प्राप्त करने के लिये काम बंद रखते हैं ।
इस शब्द को आधुनिक अर्थ मे समझने के ढंग के बारे में कुछ कहने की शायद हीं जरूरत हो, अर्थात् अपने मनोविनोद के व्यर्थ के प्रयास के लिये हर संभव रूप से समय नष्ट करना ।
क्या ओरोवील के जौ लोग सच्चे सेवक बनना चाहते हैं उनके लिये रविवार का दिन है ?
शुरू में सप्ताह की व्यवस्था इस तरह से की गयी थी : छ: दिन व्यक्ति उस समुदाय के लिये काम करे जिसका वह अंग हैं; सप्ताह का सातवां दिन आंतरिक खोज के लिये, भगवान् के लिये और अपनी सत्ता, भगवान् की इच्छा के प्रति निवेदित करने के लिये आरक्षित था । तथाकथित रविवार के विश्राम का यहीं एकमात्र अर्थ और उसका सच्चा कारण हैं ।
यह कहने की जरूरत नहीं है कि उपलब्धि के लिये निष्कपटता एक आवश्यक स्थिति हैं; समस्त कपट पतन हैं ।
(२५-१०-१९७१)
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