CWM (Hin) Set of 17 volumes
शिक्षा 401 pages 2000 Edition
Hindi Translation

ABOUT

Compilation of The Mother’s articles, messages, letters and conversations on education and 3 dramas in French: 'Towards the Future', 'The Great Secret' and 'The Ascent to Truth'.

शिक्षा

The Mother symbol
The Mother

This volume is a compilation of The Mother’s articles, messages, letters and conversations on education. Three dramas, written for the annual dramatic performance of the Sri Aurobindo International Centre of Education, are also included. The Mother wrote three dramas in French: 'Towards the Future' produced in 1949, 'The Great Secret' in 1954 and 'The Ascent to Truth' in 1957.

Collected Works of The Mother (CWM) On Education Vol. 12 517 pages 2002 Edition
English Translation
 PDF     On Education
The Mother symbol
The Mother

This volume is a compilation of The Mother’s articles, messages, letters and conversations on education. Three dramas, written for the annual dramatic performance of the Sri Aurobindo International Centre of Education, are also included. The Mother wrote three dramas in French: 'Towards the Future' produced in 1949, 'The Great Secret' in 1954 and 'The Ascent to Truth' in 1957.

Hindi translation of Collected Works of 'The Mother' शिक्षा 401 pages 2000 Edition
Hindi Translation
 PDF    LINK

परीक्षाएं

 

माताजी मै यह जानना चाहूंगा कि नये वर्ष में कक्षा की व्यवस्था के बारे में आपका क्या विचार हैं नयी कक्षाएं बनाने सें पहले परीक्षा होगी या नहीं?

 

मै परीक्षा को बिलकुल जरूरी मानती हूं । बहरहाल फ्रेंच में तो परीक्षा होगी ।

 

प्रेम और आशीर्वाद ।

 

(२९-१०-१९४६)

 

*

 

 एक कमरा जहां बच्चे चुपचाप बैठते या अध्ययन करते हैं ।

 

१८१


 किसी कक्षा के लिये विद्यार्थी रूढ़िगत परीक्षाओं के दुरा नहीं चुने जा सकते । यह अपने अंदर सच्चा मनोवैज्ञानिक भान उत्पन्न करने सें ही हो सकता हैं ।

 

  जो बच्चे सीखना चाहते हैं उन्हें चून लो, उन्हें नहीं जो किसी तरह धक्का देकर आगे आना चाहते हैं ।

 

 (२९-१०-१९६५)

 

*

 

  (परीक्षाओं मे धोखेबाजी के बारे मे)

 

मैं क्या करूं? क्या हमें मी वही करना चाहिये जो बाहर किया जाता है- हर कमरे मे तीन-तीन अध्यापकों को निरीक्षण के लिये रख दिया जाये? अध्यापक यहां आश्रम मे हंस तरह करना पसंद नहीं करते

 

   या हम परीक्षा लेना हीं बंद कर दें? यह प्रस्ताव जोश संदिग्ध मालूम होता ह्वै क्योंकि और निबंधों मे मी तो यही होता है?

 

   बहरहाल समस्या, ह्वै और कोई वास्तविक समाधान पाने के लिये यह जानना चाहिये कि बच्चे ऐसा व्यवहार क्यों करते हैं?

 

   कृपया मुझे असदव्यवहार का कारण और इस समस्या का समाधान बतोलिया !

 

 यह बहुत सरल हैं । यह इसलिये होता है क्योंकि बहुत-से बच्चे इसलिये पढ़ते हैं कि उनके घरवाले रिवाज और प्रचलित विचारों के कारण इसके लिये बाधित करते हैं, वे जानने और सीखने के लिये नहीं पढ़ते । जबतक पढ़ने का उद्देश्य नहीं बदला जाता, जबतक कि हैं  इसलिये नहीं पढ़ते कि हैं जानना चाहते हैं, तबतक बे अपना काम आसान बना लेने और कम-से-कम प्रयास साथ परिणाम पाने के लिये सब प्रकार की चालाकियां खोजते रहेंगे ।

 

(जून १९६७)

 

*

 

 (माताजी ने कहा है कि निम्नलिखित वक्तव्य का बार-बार दोहराना हर रोज सैकड़ों हज़ारों बार दोहरानर यहांतक कि वह एक जीवित-जाग्रत स्पन्दन बन जाये विद्यार्थी की हंस विषय मे सहायता करेगा कि वह अपने अंदर क्वे त्रिये संकल्प और प्रयोजन प्रतिष्ठित कर सके !)

 

सब विधार्थियों द्वारा हर रोज दोहराये जाने के लिये :

 

  हम अपने परिवार के लिये नहीं पढ़ते, हम कोई अच्छा पद पाने के लिये नहीं

 

१८२


पढ़ते, हम पैसा कमाने के लिये नहीं पढ़ते, हम कोई उपाधि पाने के लिये नहीं पढ़ते।

 

 हम सीखने के लिये, जानने के लिये, संसार को समझने के लिये और पढ़ाई से मिलनेवाले आनंद के लिये पढ़ते हैं ।

 

(जून १९६७)

 *

 

 एक हीं उपाय है, इस परीक्षा को और आनेवाली सभी परीक्षाओं को रद्द कर दो । सभी परचों को अपने पास बंदे हुए पुलिंदे के रूप में रख छोड़-मानो वे थे हीं नहीं- और चुपचाप कक्षाएं जारी रखी ।

 

  वर्ष के अंत में तुम विद्यार्थियों के बारे में टिप्पणियां दोगे जो लिखित उत्तर-पत्रों पर आधारित न होकर, उनके व्यवहार, उनकी एकाग्रता, उनकी नियमितता, उनकी तुरंत समझने की क्षमता और बुद्धि के खुले होने पर आधारित होगी ।

 

  अपने लिये, तुम इसे एक साधना के रूप मे लोग, तुम्हें अधिक आंतरिक संपर्क, तीक्ष्मा अवलोकन और निष्पक्ष दृष्टि पर भरोसा करना होगा ।

 

 विधार्थियों के लिये यह जरूरी होगा कि बिना पूरी तरह समझे तोता-रटन्त करने की जगह, जो पढ़ते हैं उसे सचमुच समझें ।

 

  इस भांति शिक्षा मे एक सच्ची प्रगति होगी ।

 

 आशीर्वाद सहित ।

 

(२१-७-११६७)

 

*

 

 मुझे लगता है कि परीक्षा यह जानने का दकियानूसी और व्यर्थ उपाय हैं कि बिधार्थी समझदार, इच्छुक और एकाग्र हैं या नहीं ।

 

यदि स्मरण-शक्ति अच्छी हो तो एक मनु, यांत्रिक मन भी परीक्षा मे अच्छी तरह से उत्तीर्ण हों सकता है और निश्चय हीं भावी मनुष्य के लिये इन गुणों की जरूरत नहीं । पुरानी आदतों के प्रति सहिष्णुता के कारण मैं इस बात के लिये राजी हो गयी थी कि जो परीक्षा जारी रखना चाहें वे रख सकते हैं । लेकिन मैं आशा करती हूं कि आगे चलकर यह सुविधा जरूरी न रहेगी ।

 

  अगर परीक्षाएं हटा दी जायें, तो यह जानने के लिये कि क्या बिधार्थी अच्छा हैं, अध्यापक को जरा अधिक आंतरिक संपर्क और मनोवैज्ञानिक ज्ञान की जरूरत होगी । लेकिन हमारे अध्यापकों से यह आशा की जाती हैं कि हैं योग करते हैं, अतः उनके लिये यह कठिन न होना चाहिये ।

 

(२२ -७ -१९६७)

 

*

 

१८३


निश्चय ही अध्यापक को यह जानने के लिये कि बिधार्थी ने कुछ सीखा हैं, कोई प्रगति की हैं , विद्यार्थी को परखना होगा । परंतु यह परख व्यक्तिगत और हर बिधार्थी के अनुकूल होनी चाहिये, सबके लिये एक हीं यांत्रिक परख नहीं । वह एक सहज और अप्रत्याशित परख होनी चाहिये जिसमें कपट और दिखलावे का स्थान न हों । यह भी स्वाभाविक हैं कि अध्यापक के लिये यह बहुत ज्यादा कठिन है लेकिन साथ ही बहुत ज्यादा जीवित-जाग्रत और मजेदार भी ।

 

  तुमने अपने विधार्थियों के बारे मे जो टिप्पणियां लिखी हैं उनमें मुझे मजा आया । इससे प्रमाणित होता हैं कि उनके साथ तुम्हारा व्यक्तिगत संबंध है- और अच्छी पढ़ाई के लिये यह अनिवार्य हैं ।

 

   जो कपटी हैं वे सचमुच सीखना नहीं चाहते, बे केवल अच्छे अंक या अध्यापक की शाबाशी चाहते हैं-मुझे उनमें रस नहीं हैं ।

 

(२५-७-१९६७)

 

*

 

   ''मुक्त प्रगति कक्षाओं'' मे पुरस्कार देने के लिये कौन- सी कसौटी होनी चाहिये !

 

 पुरस्कार निश्रित रूप से प्रतियोगिता के स्तरों के अनुसार न होने चाहिये ।

 

  (१) क्षमता और (२) सद्भावना तथा सतत प्रयास के अमुक स्तर को लांघनेवालों को, समान मूल्यवाले, पुरस्कार दिये जा सकते हैं ।

 

    पुरस्कार योग्य होने के लिये दोनों चीजें होनी चाहिये ।

 

१८४









Let us co-create the website.

Share your feedback. Help us improve. Or ask a question.

Image Description
Connect for updates