Compilation of The Mother’s articles, messages, letters and conversations on education and 3 dramas in French: 'Towards the Future', 'The Great Secret' and 'The Ascent to Truth'.
This volume is a compilation of The Mother’s articles, messages, letters and conversations on education. Three dramas, written for the annual dramatic performance of the Sri Aurobindo International Centre of Education, are also included. The Mother wrote three dramas in French: 'Towards the Future' produced in 1949, 'The Great Secret' in 1954 and 'The Ascent to Truth' in 1957.
सामान्य संदेश और पत्र
अपने शरीर के 'स्वामी' बन जाओ-यह तुम्हें स्वाधीनता की ओर ले जायेगा ।
*
शरीर की चेतना को विकसित करने के लिये शारीरिक-शिक्षण सबसे अच्छा उपाय हैं और शरीर जितना अधिक सचेतन होगा, उतना ही अधिक उन भागवत शक्तियों के प्रति ग्रहणशील बन सकेगा जो उसे रूपांतरित करने और एक नयी जाति को जन्म देने के लिये काम कर रही हैं ।
(जिम्नास्टिक्स के लिये एक कमरे के बारे मे)
क्या इस कमरे में हवा और रोशनी हैं? हवा और रोशनी के बिना की गयी कसरत फ़ायदे की जगह नुकसान ज्यादा पहुंचाती है ।
(५-१०-१९४५)
सीखने के लिये यह एक अत्यंत आवश्यक और अनिवार्य पाठ है। कोई उपयोगी काम सहयोग की भावना और खेल के अनुशासन के बिना नहीं हो सकता ।
(१५ -५ -११४७)
आजकल जो खेल-कूद की प्रतियोगिताएं हो छी हैं इन्हें हमें किस भाव से लेना चाहिये और इनमें कैसे मान लेना चाहिये है!
संलग्न पुस्तिका' को पढो-इससे तुम्हें उत्तर मिल जायेगा और साथ ही पहले 'बुलेटिन' मे श्रीअरविन्द का संदेश ' पढ़ो ।
(२-६-१९४९)
१ 'कोड ऑफ स्पोर्दसमैनशिप'
२ श्रीअरविन्द सेटिनरी वोल्यूम, खंड १६, पृ० ६-४ ।
अगर मैं तुम्हारी बात को ठीक समझी हूं तो तुम यह कहना चाहते हो कि तुम जो शारीरिक क्रिया कर रहे हो उसपर एकाग्र होने से मानसिक क्रिया-कलाप अपने-आप बंद हो जाते हैं और इससे शरीर की क्षमता बढ्ती है । यह सच है बशर्ते कि एकाग्रता पूर्ण हो जो विरल ही होती हैं ।
'आशीर्वाद ।
(२ -६ -११४९)
(एक कप्तान ने दस-ग्यारह वर्ष क्वे बच्चे को ऐथलेटिक्स सिखाना शुरू किया था उसने माताजी से पूछा कि क्या उसे अपने क्रिया-कलाप की योजना बनानी चाहिये! माताजी का उत्तर:)
योजना अच्छी चीज हैं, लेकिन बच्चों की अपेक्षा तुम्हारे लिये ज्यादा अच्छी हैं । मेरा मतलब यह हैं कि तुम्हें ठीक-ठीक पता होना चाहिये कि तुम क्या करना चाहते हो और तुम्हें अपने काम की व्यवस्था करनी चाहिये । लेकिन अपनी पद्धति को बहुत कठोरता के साथ लाम मत करो क्योंकि बच्चे अपनी गतिविधि मे स्वतंत्र और सहज होना चाहते हैं और यह स्वतंत्रता उनके विकास के लिये अच्छी है ।
मेरा प्रेम और आशीर्वाद ।
(६ -६ -१९५०)
सोवियेट जिम्नास्टस दल' से
भइयो, हम तुम्हारा अभिवादन करते हैं, हम सब यहां पर जिस शारीरिक पूर्णता के लिये अभीप्सा करते हैं उसके मार्ग पर तुम इतने आगे हो ।
हम अपने बीच, आश्रम में, तुम्हारा स्वागत करते हैं । हमें विश्वास हैं कि आज महान मानव परिवार की एकता की ओर एक और कदम उठाया गया है ।
(३ -४ -१९५६)
अपने अंदर संपूर्ण समन्वय का निर्माण करो ताकि जब समय आये तो 'संपूर्ण सौंदर्य' अपने-आपको तुम्हारे दुरा प्रकट कर सके ।
(१९५९)
१सोवियेट जिम्नास्टस को संदेश जिन्हेंने २ और है अप्रैल १९५६ को आश्रम के 'सदोष ग्राउंड' में प्रदर्शन दिये थे ।
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हठयोग के बारे में
हमने अपने अनुभव से जाना है कि किसी विशेष व्यायाम-पद्धति पर ही एकमात्र यौगिक व्यायाम की मुहर नहीं लगायी जा सकतीं और यह शिक्षित रूप से नहीं कहा जा सकता कि केवल इन्हीं कसरतों में भाग लेने से स्वास्थ्य लाभ होगा क्योंकि ये यौगिक कसरतें हैं।
अपनी आवश्यकताओं और क्षमताओं के अनुकूल कोई भी युक्तियुक्त व्यायाम- पद्धति व्यायाम करनेवाले को अपना स्वास्थ्य सुधारने में सहायता देगी । और फिर मनोवृत्ति का महत्त्व ज्यादा हैं । यौगिक वृत्ति से अपनायी गयी, कोई भी सुनियोजित वैज्ञानिक रूप से व्यवस्थित व्यायाम-पद्धति यौगिक कसरत हो सकती है और उसमें भाग लेनेवाला शारीरिक स्वास्थ्य और नैतिक तथा आध्यात्मिक उत्थान की दृष्टि से पूरा लाभ उठा सकता है ।
('बुलेटिन', अप्रैल १९५९)
मैं केवल सुन्दर होना चाहता हूं !
सचाई के साथ शारीरिक व्यायाम करो और तुम सफल हों जाओगे ।
(१९६५)
मुझे इस बात में बुद्धिमानी नहीं मालूम होती कि छ: वर्ष से कम उम्र के बच्चों को समुद्र-स्नान के लिये ले जाया जाये; उनके लिये समुद्र का पानी बहुत तेज होता है ।
(८-२ -१९६६)
(एक कप्तान ने लिखा कि उसने बच्चों से कहा है कि अगर बे अपने दल के नियंत्रक में रहेंगे तो माताजी प्रसब्र होगी माताजी ने लिखा :)
तुम्हारा उत्तर ठीक हैं ।
अगर कोई नियंत्रण में रहने की क्षमता नहीं रखता हो तो वह जीवन में कोई भी चिरस्थायी मूल्य की चीज करने में असमर्थ होता हैं ।
(१६-२-१९६७)
२६१
(एक कप्तान ने माताजी को लिखा कि उसे ऐसा छनता है कि वह शारीरिक और मानसिक ढंग सै "पीट-सा'' क्या है माताजी ने उत्तर दिया:)
चिंता मत करो-कुछ अच्छी और नियंत्रित कसरतों ये और मेरे आशीर्वाद के साथ सब ठोंक हों जायेगा ।
प्रेम और आशीर्वाद ।
(१४-३-९९६७)
तीन बार मेरे दाहिने ४टने मे चोट लगी है और तीनों बार मैं ठीक हो गया ।
माताजी यह वर लीजिये कि फिर से चोट न लगे और मैं अपने दल के काम ले वंचित न रहूं?
अधिक सचेतन होओ तो तुम्हें फिर से चोट न लगेगी ।
(८-७-१९६८)
माताजी मैंने देखा है कि मैं अपने भौतिक शरीर को उसकी वास्तविक क्षमता से जरा ज्यादा अच्छा करने के लिये बाधित नहीं कर पाता? मैं जानना चाहूंगा कि मैं उसपर कैसे जोर डाल सकता हूं? लेकिन माताजी क्या अपने शरीर पर जोर डालना ठीक है?
नहीं ।
शरीर प्रगति करने के योग्य है और धीरे-धीरे वह जो चीजें नहीं कर सकता था उन्हें करना सीख सकता है । लेकिन उसकी प्रगति की क्षमता प्राण की प्रगति की कामना और मन के प्रगति के संकल्प की अपेक्षा बहुत धीमी है । और अगर प्राण और मन को क्रिया के स्वामी के रूप में छोड़ दिया जाये तो बे शरीर को परेशान कर मारेमें, उसको नष्ट कर देंगे और स्वास्थ्य बिगाड़ देंगे ।
इसलिये तुम्हें धीरज रखना चाहिये और शरीर की लय का अनुसरण करना चाहिये; वह ज्यादा समझदार हैं और जानता है कि वह क्या कर सकता है और क्या नहीं कर सकता।
स्वभावतः, तामसिक शरीर भी होते हैं और उन्हें प्रगति करने के लिये कुछ प्रोत्साहन की जरूरत होती है ।
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परंतु हर चीज में, हर हालत में अपना संतुलन बनाये रखना चाहिये ।
आशीर्वाद ।
(१३-१०-१९६९)
माताजी हमें प्रतियोगिताओं और प्रदर्शनों में क्यों भाग लेना चाहिये?
क्योंकि यह ज्यादा प्रयास करने का और इसलिये तेजी से प्रगति करने का अवसर होता हैं।
(१६-११-१९६९)
(खेलकूद में दुर्घटनाओं के बारे में)
मुझे नहीं लगता कि यहां बाहर की अपेक्षा ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं । निक्षय हीं यहां कम होनी चाहिये । लेकिन उसके लिये, यहां रहनेवाले बच्चों को चेतना मे अधिक विकसित होने की कोशिश करनी चाहिये (यह कहीं और की अपेक्षा यहां ज्यादा सरल हैं) लेकिन, दुर्भाग्यवश, उनमें से बहुत कम यह करने का कष्ट उठाते हैं । वे मिला हुआ सुअवसर खो बैठते हैं ।
(२२-१२-१९६९)
माताजी खेल-कूद और शारीरिक प्रशिक्षण में क्या?
सभी क्रीड़ाएं, प्रतियोगिताएं, साम्मुख्य आदि, वे सब चीजें जो प्रतियोगिता पर आधारित हैं और जिनके अंत मे स्थान और इनाम मिलते हैं, वे सब खेल-कूद (स्पर्धा) हैं । शारीरिक शिक्षण का मतलब हैं सब कसरतों का मेल जिसका उद्देश्य है शरीर को स्वस्थ रखना और विकसित करना ।
स्वभावतः, हमारे यहां दोनों साथ-साथ हैं । लेकिन यह विशेष रूप से इसलिये है क्योंकि मनुष्य को, विशेषत: छोटी आयु में, अभीतक प्रयास करने के लिये कुछ उत्तेजना की जरूरत होती हैं ।
(१४ -१ -१९७०)
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खेल-कूद शरीर को 'रूपांतर' के लिये तैयार करने में सहायता देते हैं ।
(३०-९-१९७०)
(खेल-कूद के साम्मुख्य में जोतनेवाले को जो कार्ड मिलता है उसपर अंकित चित्र के बारे मे)
जोतनेवाले के कार्ड पर जो चित्र बना हैं वह एक यूनानी कांस्य मूर्ति पर आधारित है और यह हमारे इस संकल्प को प्रकट करता है कि हम शारीरिक शक्ति का उपयोग आवेगों के काले सांड पर प्रभुत्व पाने के लिये करेंगे ।
(खेल-कूद के समुदय मे दूसरा होनेवाले को जो कार्ड दिया जाता है उसपर जो रेखाचित्र है उसके बारे मे)
दूसरा होनेवाले के कोई पर रोदें के 'विचारक ' का मतलब है ज्यादा अच्छे परिणाम के लिये साधन को पूर्ण बनाने पर मनन की आवश्यकता ।
(जिम्नास्टिक्स प्रतियोगिता पुरस्कार के कार्ड पर गुस्ताव मोरो क्वे 'र्हडिपस और स्फिंक्स' के रेखाचित्र के बारे मै)
संसार की पहेली
अगर तुम से हल कर सको तो अमर हो जाओगे, लेकिन असफल रहे तो मर जाओगे ।
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