CWM (Hin) Set of 17 volumes
शिक्षा 401 pages 2000 Edition
Hindi Translation

ABOUT

Compilation of The Mother’s articles, messages, letters and conversations on education and 3 dramas in French: 'Towards the Future', 'The Great Secret' and 'The Ascent to Truth'.

शिक्षा

The Mother symbol
The Mother

This volume is a compilation of The Mother’s articles, messages, letters and conversations on education. Three dramas, written for the annual dramatic performance of the Sri Aurobindo International Centre of Education, are also included. The Mother wrote three dramas in French: 'Towards the Future' produced in 1949, 'The Great Secret' in 1954 and 'The Ascent to Truth' in 1957.

Collected Works of The Mother (CWM) On Education Vol. 12 517 pages 2002 Edition
English Translation
 PDF     On Education
The Mother symbol
The Mother

This volume is a compilation of The Mother’s articles, messages, letters and conversations on education. Three dramas, written for the annual dramatic performance of the Sri Aurobindo International Centre of Education, are also included. The Mother wrote three dramas in French: 'Towards the Future' produced in 1949, 'The Great Secret' in 1954 and 'The Ascent to Truth' in 1957.

Hindi translation of Collected Works of 'The Mother' शिक्षा 401 pages 2000 Edition
Hindi Translation
 PDF    LINK

शक्ति का अक्षय भंडार

 

किसी खिलाडी को यौगिक साधना से जो सबसे बढ़ी सहायता मिल सकतीं है वह यह हैं कि साधना उसे यह सीखा सकती हैं कि विष-ऊर्जा के अक्षय स्रोत से शक्ति खींचकर अपनी शक्ति को नया और ताजा कैसे बनाया जा सकता हैं ।

 

   आधुनिक विज्ञान ने पोषण-कला मे बहुत उबरती की हैं , अभीतक शक्ति पाने के लिये यहीं सबसे अधिक जाना-माना साधन हैं । लेकिन यह प्रक्रिया अपने अच्छे-से- अच्छे रूप में भी अशिक्षित है और नाना प्रकार की सीमाओं से घिरी है । यहां हम इस विषय को नहीं ले रहे, क्योंकि इस विषय में बहुत कुछ कहा जा चुका हैं । पर यह स्पष्ट हैं कि जबतक मनुष्य और संसार अपनी वर्तमान अवस्था में हैं तबतक भोजन अनिवार्य हैं । योग-विज्ञान शक्ति प्राप्त करने के अन्य साधनों को जानता है, और यहां हम दो सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण साधनों की बात करेंगे ।

 

   पहला है जड़ और पार्थिव जगत् मे एकत्रित शक्तियों के साथ नाता जोड़ना और उनके अक्षय भंडार से आजादी के साथ ले सकना । ये भौतिक शक्तियां अंधेरी और निक्षेतना होती हैं; ये मनुष्य के अंदर पाशविकता बढ़ाती हैं, लेकिन साथ-हीं-साथ, ये मानव शरीर और भौतिक प्रकृति के बीच एक सामंजस्यपूर्ण संबंध भी स्थापित करती हैं । जो इन शक्तियों को लेना और इनका उपयोग करना जानते हैं वे प्रायः जीवन में सफलता पाते हैं और जो कुछ हाथ में लेते हैं उसमें सफल होते हैं । पर फिर भी वे बहुत हदतक जीवन की परिस्थितियों ओर शारीरिक स्वास्थ्य की अवस्था पर निर्भर रहते हैं । उनमें जो सामंजस्य पैदा होता हैं वह आक्रमणों से सुरक्षित नहीं होता; जब परिस्थितियां उलटी हो जायें तो वह गायब हों जाता हैं । बालक बिना नापे-तोले, मस्ती में, खुलकर इधर-उधर हाथ-पैर मारता हुआ शक्ति फेंकता और भौतिक प्रकृति सें शक्ति पाता रहता हैं । लेकिन अधिकतर मनुष्यों में, जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं, यह क्षमता जीवन की चिंताओं और चेतना में मानसिक क्रियाओं के महत्त्व पा लेने के कारण मर-सी जाती हैं ।

 

फिर भी, शक्ति का एक स्रोत हैं । एक बार उसका पता लग जाये तो फिर जीवन की भौतिक अवस्थाएं चाहे जैसी क्यों न हों, चाहे जैसी परिस्थितियां क्यों न आ जायें, वह स्रोत कभी सूख नहीं सकता । कहा जा सकता हैं कि यह आध्यात्मिक शक्ति हैं जो नीचे से, निक्षेतना की गहराइयों में से नहीं, बल्कि ऊपर से, मनुष्यों और जगत् के परम स्रोत से, अति चेतना के शाश्वत और सर्वशक्तिमान वैभवों से आती हैं । वह हर जगह, हमारे चारों ओर मौजूद है और हर चीज में घुसी हुई हो और उसके साथ नाता जोड़ने के लिये और उसे पाने के लिये इतना काफी हैं कि उसके लिये सचाई से अभीप्सा की जाये, अपने-आपको पूरे श्रद्धा-विश्वास के साथ उसके प्रति खोला जाये, अपनी चेतना को विशाल बनाया जाये और विश्व 'चेतना' के साध एक हुआ जाये ।

 


   शुरू मे, यह चीज असंभव नहीं, तो कठिन जरूर प्रतीत हों सकती हैं । लेकिन अगर तथ्यों को जरा ज्यादा नजदीक से देखा जाये, तो मालूम होगा कि यह चीज इतनी परायी नहीं है, सामान्य रूप से विकसित मानव चेतना से इतनी दूर नहीं हैं । चास्तव में, ऐसे लोग बहुत कम होंगे जिन्हेंने अपने जीवन मे, कम-से-कम एक बार, यह अनुभव नहीं किया कि मानों हैं अपने-आपसे परे उठा लिये गये हैं, एक अप्रत्याशित और ऐसी असाधारण शक्ति से भर गये हैं जो उन्हें, उस समय के लिये, सब कुछ करने की सामर्थ्य देती है; ऐसे क्षणों में कोई चीज बहुत कठिन नहीं मालूम होती और '' असंभव' ' शब्द अपना अर्थ खो बैठता है ।

 

   यह अनुभव, चाहे कितना भी क्षणिक क्यों न हो, हमें उस उच्चतर शक्ति के संपर्क की एक ज्ञानी दे देता हैं जिसे योग-साधना पाती और बनाये रखती हैं ।

 

   इस संपर्क को पाने की विधि यहां बड़ी मुश्किल से हीं बतायी जा सकतीं है । इसके अतिरिक्त, यह एक व्यक्तिगत चीज हैं , हर एक के लिये अपना तरीका है जो हर व्यक्ति को वहीं आकर पकड़ता है जहां वह खड़ा हो, अपने-आपको उसकी निजी ज़रूरतों के अनुकूल बनाता है और उसे एक कदम आगे बढ़ने मे सहायता देता हैं । रास्ता लंबा हैं और कमी-कभी गति धीमी होती हैं, लेकिन परिणाम कष्ट उठाने लायक हैं । हम सहज ही इस शक्ति के परिणामों की कल्पना कर सकते हैं जो हर परिस्थिति में और जब चाहे तब शक्ति के उस असीम भंडार सें शक्ति ग्रहण करती है जो अपनी भास्वर पवित्रता से युक्त सर्वसमर्थ है । थकान, क्लांति, रोग, जस और मृत्यु तक रास्ते की बाधाएं भर रह जाते हैं, उन्हें स्थिर संकल्प के द्वारा निश्चित रूप से पार किया जा सकता हैं ।

 

('बुलेटिन', अगस्त १९४९)

 

२३८









Let us co-create the website.

Share your feedback. Help us improve. Or ask a question.

Image Description
Connect for updates