CWM (Hin) Set of 17 volumes
माताजी के वचन - III 450 pages 2009 Edition
Hindi Translation

ABOUT

The Mother's brief statements on various aspects of spiritual life including some conversations.

माताजी के वचन - III

The Mother symbol
The Mother

Part One consists primarily of brief written statements by the Mother on various aspects of spiritual life. Written between the early 1930s and the early 1970s, the statements have been compiled from her public messages, private notes, and correspondence with disciples. About two-thirds of them were written in English; the rest were written in French and appear here in English translation. There are also a small number of spoken comments, most of them in English. Some are tape-recorded messages; others are reports by disciples that were later approved by the Mother for publication. These reports are identified by the symbol § placed at the end. Part Two consists of thirty-two conversations not included elsewhere in the Collected Works. The first six conversations are the earliest recorded conversations of the 1950s' period. About three-fourths of these conversations were spoken in French and appear here in English translation.

Collected Works of The Mother (CWM) Words of the Mother - III Vol. 15 409 pages 2004 Edition
English
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The Mother

Part One consists primarily of brief written statements by the Mother on various aspects of spiritual life. Written between the early 1930s and the early 1970s, the statements have been compiled from her public messages, private notes, and correspondence with disciples. About two-thirds of them were written in English; the rest were written in French and appear here in English translation. There are also a small number of spoken comments, most of them in English. Some are tape-recorded messages; others are reports by disciples that were later approved by the Mother for publication. These reports are identified by the symbol § placed at the end. Part Two consists of thirty-two conversations not included elsewhere in the Collected Works. The first six conversations are the earliest recorded conversations of the 1950s' period. About three-fourths of these conversations were spoken in French and appear here in English translation.

Hindi translation of Collected Works of 'The Mother' माताजी के वचन - III 450 pages 2009 Edition
Hindi Translation
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भूत, वर्तमान और भविष्य

 

भूत

 

    भूत का उपयोग भविष्य में छलांग मारने के लिए कूदने के तख्ते की तरह करो ।

२५ दिसम्बर, १९५३

 

*

 

    बहुधा हम उस चीज से चिपके रहते हैं जो थी, हमें पिछली अनुभूति के परिणाम को खोने का डर रहता है, एक विशाल और उच्च चेतना को खोकर फिर से घटिया स्थिति में जा गिरने का डर रहता है । लेकिन हमें हमेशा सामने देखना और आगे बढ़ना चाहिये ।

१३ अक्तूबर, १९५४

 

*

 

 

    कभी-कभी पुरानी अनुभूति की स्मृति तक को विचारों से झाड़-बुहार डालने की जरूरत होती है ताकि वह सतत पुनर्निर्माण के काम में बाधा न डाले । सापेक्षताओं के इस जगत् में केवल वही भगवान् की पूर्ण अभिव्यक्ति को सम्भव बनाता है ।

२१ नवम्बर, १९५४

 

*

 

    स्मृतियों के सम्मोहन से सावधान । पुरानी अनुभूतियां जो चीज छोड़ जाती हैं वह है चेतना के विकास पर उस समय का उनका प्रभाव । लेकिन जब तुम अपने-आपको फिर से वैसी ही परिस्थितियों में रख कर उसी स्मृति को पुनरुज्जीवित करना चाहते हो तो तुम्हें पता लगता है कि अब वे सम्मोहन और शक्ति से खाली हैं । अब प्रगति के लिए उनका उपयोग खतम हो चुका ।

*

७७


    चिरजीवी स्मरण : उसका स्मरण जिसने सत्ता को प्रगति करने में सहायता दी हो ।

 

*

 

    भावुकतापूर्ण स्मरण : इस स्मृति का विषय केवल वही परिस्थितियां होनी चाहियें जिन्होंने भगवान् की खोज करने में हमारी सहायता की ।

 

*

 

    किन्हीं कालों में समस्त पार्थिव जीवन चमत्कारिक रूप से ऐसी स्थितियों में से गुजरता है जिन्हें पार करने में अन्य कालों में उसे हजारों वर्ष लग जाते ।

११ दिसम्बर, १९५४

 

*

 

    हर क्षण तुम्हें सब कुछ पाने के लिए सब कुछ खोना जानना चाहिये, ज्यादा महान् प्रचुरता में नया जीवन पाने के लिए भूतकाल को एक मृत शरीर की तरह छोड़ना जानना चाहिये ।

१२ दिसम्बर, १९५४

 

*

 

    हर आदमी के लिए सब कुछ यह जानने पर निर्भर है कि वह उस भूतकाल का है जो अपने-आपको बनाये रखना चाहता है, वर्तमान का है जो अपने-आपको समाप्त कर रहा है या भविष्य का है जो जन्म लेने का इच्छुक है ।

१६ फरवरी, १९६३

 

*

 

    योग करने के लिए जो चीजें प्राप्त करना सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है उनमें से एक है भूतकाल के साथ आसक्ति से पिण्ड छुड़ाना ।

 

    बीती को बीत जाने दो, तुम्हें जो प्रगति करनी है केवल उसी पर

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केन्द्रित होओ, भगवान् के प्रति उस समर्पण पर केन्द्रित होओ जो तुम्हें चरितार्थ करना है ।

 

    मेरे आशीर्वाद और मेरी सहायता सदा तुम्हारे साथ हैं ।

    सप्रेम ।

१० जनवरी, १९६७

 

*

 

    जब तक कि हम भूतकाल की आदतों और मान्यताओं से नाता न तोड़ लें तब तक भविष्य की ओर तेजी से आगे बढ़ने की आशा कम ही है । २३ दिसम्बर, १९६७

 

*

 

    वास्तव में भूतकाल को भूल जाना ओर सोचने की आदत से पिण्ड छुड़ाना कठिन काम है और उसके लिए कठोर ''तपस्या" की जरूरत होती है । लेकिन अगर तुम्हें भागवत कृपा पर श्रद्धा है और तुम पूरे हृदय से उसके लिए याचना करो तो तुम ज्यादा आसानी से सफल होओगे ।

 

    आशीर्वाद ।

२२ नवम्बर, १९६८

 

*

 

    भूतकाल की लहरों को अपने पास से बह कर दूर चले जाने दो, जो समस्त आसक्तियों और समस्त दुर्बलताओं को भी अपने साथ बहा ले जायें ।

 

    भागवत चेतना का आलोकमय आनन्द उनका स्थान लेने के लिए प्रतीक्षा कर रहा हे ।

 

*

 

      क्या पिछले कर्म साधना के मार्ग में आड़े नहीं आयेगे ?

 

     तुम भूतकाल में जो कुछ भी रहे हो उसे भगवान् के प्रति पूर्ण निवेदन पोंछ डालता है ।

*

७९


मेरे प्रिय बालक,

 

    तुम्हारी प्रार्थना सुन ली गयी है । तुम्हारा भूतकाल गायब हो गया है । चेतना में, प्रकाश में, शान्ति में विकसित होने की तैयारी करो ।

    हमारे आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ हैं ।

 

*

 

    बीती को बीत जाने दो ।

    केवल शाश्वत पर एकाग्र होओ ।

    आशीर्वाद ।

१० दिसम्बर, १९७१

 

*

 

    जब तुम वैश्व सामञ्जस्य के सम्पर्क में जीते हो तो समय कोई निशान छोड़े बिना बीत जाता है ।

 

वर्तमान

 

    भाग्य की घड़ी पर एक ही मिनट दो बार नहीं बजता ।

 

*

 

    जीवन में कुछ अनुपम क्षण होते हैं जो स्वप्न की तरह गजर जाते हैं । तुम्हें उन्हें उड़ते समय ही पकड़ लेना चाहिये क्योंकि वे कभी लौटते नहीं ।

 

*

 

    वर्तमान ही जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण क्षण है ।

१२ फरवरी, १९५२

 

*

 

    जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण क्षण कौन-सा है ? वर्तमान क्षण । क्योंकि

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भूत का अब कोई अस्तित्व नहीं रहा और भविष्य का अभी तक अस्तित्व नहीं है ।

१९५२

 

*

 

    भय और संकोच के बिना, हमेशा अधिक ऊंचे, अधिक दूर तक उड़ो !

 

    आज की आशाएं भावी कल की उपलब्धियां हैं ।

 

भविष्य

 

    भविष्य अनिवार्य रूप से भूत से अच्छा होता है । हमें केवल आगे बढ़ना है ।

 

*

 

    आगे बढ़ो, ज्यादा अच्छे भविष्य की ओर, कल की उपलब्धियों की ओर आगे बढ़ो ।

 

*

 

    हम एक-एक कदम करके, सत्य से सत्य की ओर बिना रुके चढ़ते चलेंगे जब तक कि हम आगामी कल की पूर्ण उपलब्धि तक न जा पहुंचें ।

 

*

 

    भविष्य : अभी तक अनुपलब्ध आश्वासन ।

 

*

 

    भविष्य आश्वासन से भरा है ।

*

८१


भविष्य उन लोगों के लिए सम्भावनाओं से भरा होता है जो अपने-आपको उसके लिए तैयार करना जानते हैं ।

 

*

 

    हर नयी उषा एक नयी प्रगति की सम्भावना लेकर आती है ।

    हम बिना जल्दबाजी के आगे बढ़ते हैं, क्योंकि हम भविष्य के बारे में विश्वस्त हैं ।

 

*

 

   मैं प्रस्ताव करती हूं कि हम केवल वही करें जो ठीक और उचित हो, भविष्य के बारे में बहुत अधिक न सोचें, उसे भागवत कृपा के संरक्षण में रहने दें ।

 

८२









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